जिंदगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें..
ये जमीं चांद से बेहतर नजर आतीं है हमें..
सुर्ख फुलोंसे मेहक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढलें यूं तेरी आवाज बुलाती हैं हमें...
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से
रात के पीछ्ले प्रहर रोज जगाती है हमें..
हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्युं है..
अब तो हर वक्त यही बात सताती है हमें..
ये जमीं चांद से बेहतर नजर आती है हमें..
वर्गात बसुन डेस्कवर सुंदर सुंदर गाणी लिहीणार्या माझ्या मैत्रिणीसाठी..नेहासाठी...!!
ये जमीं चांद से बेहतर नजर आतीं है हमें..
सुर्ख फुलोंसे मेहक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढलें यूं तेरी आवाज बुलाती हैं हमें...
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से
रात के पीछ्ले प्रहर रोज जगाती है हमें..
हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्युं है..
अब तो हर वक्त यही बात सताती है हमें..
ये जमीं चांद से बेहतर नजर आती है हमें..
वर्गात बसुन डेस्कवर सुंदर सुंदर गाणी लिहीणार्या माझ्या मैत्रिणीसाठी..नेहासाठी...!!
अप्रतिम!मुग्धा सगळेच शेर एक से बढकर आहेत. याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से रात कें पीछले प्रहर रोज जगाती हैं हमें......वा! शेवटचा ही मस्तच.
ReplyDeleteho aga! pan he gaana aahe "bazaar" movie madhala...
ReplyDeletetalat aziz ni gaylela...:)
अप्रतीम गझल आहे. आणि तलत अझीझ ने ती गायलीही मस्त. अगं पण मुग्धा माझ्या माहितीप्रमाणे हे गाणं उमराव जान चित्रपटातील आहे.
ReplyDeleteho rohini..te bazaar madhala.."phir chhidi raat baat phulon ki" ch lakshat hota..
ReplyDeletevaracha gana umrao jaan chach aahe..
सही आहे
ReplyDeleteबहुत खुब. क्या बात है भाई
ReplyDeletewah! :) NEHA hai phaar sahi naav aahe! :D :P
ReplyDeleteho majhi maitrin hi tashich ahe sahhii!!
ReplyDeleteमुग्धा टॆगलेय गं तुला....पाहशील......:)
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